Wednesday, October 23, 2024
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आरबीआई को दिसम्बर में ब्याज दरों की कटौती क्यों करनी चाहिए।

RBI ने ब्याज दरों में कटौती की दिशा में पहला कदम उठाया

आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान एवं आउटरीच प्रमुख अदिति नायर ने कहा की एमपीसी ने रुख में बदलाव करके लचीलेपन को प्रथमिकता दी है। इस दिसंबर से 2024 में संभवाना है की दर कम होने का रास्ता खुल जाएगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अपनी नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन ब्याज दरों में कमी की दिशा में पहला कदम उठा दिया है। केंद्रीय बैंक अपनी अपेक्षाकृत आक्रामक नीतिगत रुख को तटस्थ कर दिया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, पैनल ने सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को तटस्थ करने का फैसला किया है। मौद्रिक नीति समिति जिसमें आरबीआई के तीन अधिकारी और समान संख्या में नए बाहरी सदस्य शामिल थे। ने बेंचमार्क पुनर्खरीद या रेपो दर – जो घर ऑटो कॉर्पोरेट और अन्य ऋणों की ब्याज दर को नियंत्रित करती है। को 10वीं लगातार नीति बैठक के लिए 6.5 प्रतिशत पर रखने के लिए पांच से एक वोट दिया। ब्याज दरों में आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया गया था। जब उन्हें 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च की मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुमन चौधरी ने कहा कि हालांकि एमपीसी ने दरों में कटौती के बारे में कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं दिया है। लेकिन संभावना है कि यह इस साल दिसंबर या फरवरी 2025 में दरों में कटौती करेगी। बशर्ते मुद्रास्फीति का माहौल स्थिर हो और अगले कुछ महीनों में मुख्य मुद्रास्फीति लगातार 4.5 प्रतिशत के भीतर रहे। आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान एवं आउटरीच प्रमुख अदिति नायर ने कहा कि एमपीसी समीक्षा ने रुख में बदलाव करके लचीलेपन को प्राथमिकता दी है। इससे दिसंबर 2024 में संभावित दर कटौती का रास्ता खुल गया है। अगर घरेलू और वैश्विक दोनों तरह की मुद्रास्फीति के लिए छिपे हुए जोखिम नहीं बनते हैं।

हमारे विचार में भारतीय दर कटौती चक्र काफी उथला होगा जो दो नीति समीक्षाओं में 50 आधार अंकों तक सीमित रहेगा।

खाद्य मुद्रास्फीति कम हो सकती है

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि समिति ने रुख बदल दिया है, लेकिन विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के मुताबिक बनाए रखने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति कम हो सकती है, जबकि अस्थिर खाद्य और ऊर्जा लागत को छोड़कर कोर मुद्रास्फीति अपने निचले स्तर पर पहुंच गई है। भारत का आर्थिक विकास परिदृश्य बरकरार रहा, निजी खपत और निवेश में भी वृद्धि हुई। रुख में बदलाव से आगामी एमपीसी बैठकों में ब्याज दरों में कटौती की संभावना का संकेत मिलता है, अगली बैठक दिसंबर की शुरुआत में होने वाली है।

मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान को अपरिवर्तित रखा

आरबीआई दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ नीतिगत बदलाव में शामिल होगा। जिसका नेतृत्व पिछले महीने अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में ढील देकर किया था। सितंबर में लगातार दूसरे महीने वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही और आरबीआई की उम्मीद के मुताबिक, इस महीने फिर से उछाला आया जिसका मुख्य कारण प्रभाव है। आरबीआई ने 2024-25, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अपने पहले से ही अनुमान लगया गया। 4.5 प्रतिशत पर फिर भी कोई बदलाव नहीं हुआ।

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