Thursday, October 24, 2024
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देश का चालू खाता घाटा जून तिमाही में बढ़कर GDP का 1.1% हुआ! RBI ने बताई ये बड़ी वजह |

देश का करेंट अकाउंट घाटा बढ़कर GDP का 1.1% हुआ

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा की जून तिमाही मे कुल सेवा प्राप्तियां एक वर्ष पहले 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ-साथ बिजनेस सर्विसेज, ट्रैवल सर्विसेज,कंप्यूटर सर्विसेज और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

देश के इस वर्ष के खाते मे भी घाटा हुआ। लेकिन अप्रैल से जून तक तीन महीनो मे बढ़कर 9.7 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 प्रतिशत हो गया। लेकिन वर्ष 2023-24 की जून तिमाही में देश का इस वर्ष का खता (करेंट अकाउंट डेफिसिट) 8.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1 प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को इस वर्ष के खाते से संबंधित आंकड़े जारी किए गए है। की पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाता 4.6 अरब डॉलर
जीडीपी के 0.5 प्रतिशत था। रिजर्व बैंक ने जून तिमाही के दौरान इस वर्ष के खाते में घटी हुई इस बढ़ोतरी के लिए व्यापार घाटा गैप बढ़ने को जिम्मेदार बताया है।

56.7 अरब डॉलर के मुकाबले 65.1 अरब डॉलर हुआ मर्चेंडाइस ट्रेड गैप

इस वर्ष के पहले तीन महीनो मे मर्चेंडाइस ट्रेड गैप (व्यापार घाटा ) 65.1 अरब डॉलर दर्ज किया गया जो पिछले साल की जून तिमाही में 56.7 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि जून तिमाही में कुल सेवा प्राप्तियां एक साल पहले के 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ ही कंप्यूटर सर्विसेज, बिजनेस सर्विसेज, ट्रैवल सर्विसेज और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में बढ़ोतरी हुई है। जून तिमाही के दौरान कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में बड़ी गिरावट हुई। ये एक साल पहले के 15.7 अरब डॉलर की तुलना में 90 करोड़ डॉलर था।

विदेश में रहने वाले भारतीयों ने पिछले साल के मुकाबले भेजे ज्यादा पैसे

वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विदेशों से लिए गए वाणिज्यिक उधार के तहत नेट इनफ्लो घटकर 1.8 अरब डॉलर हो गया था जो एक साल पहले की अप्रैल-जून तिमाही में 5.6 अरब डॉलर से कम था। जून तिमाही में विदेशों में रहने वाले भारतीयों की तरफ से भेजे गए पैसों में भी उछाल दर्ज किया गया है। इस दौरान विदेश से भारत भेजे गए पैसे 2023 के 27.1 अरब डॉलर से बढ़कर इस वर्ष 29.5 अरब डॉलर हो गए है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि विदेशी निवेश भी पिछली तिमाही में बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गया जबकि पिछले साल ये 4.7 अरब डॉलर था।

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