Wednesday, October 23, 2024
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Yes Bank में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर फंसा पेंच, जानें क्या है मामला!

Yes Bank में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर फंसा पेंच

भारतीय रिजर्व बैंक इस बात से सहमत नहीं है कि एक विदेशी संस्था के पास येस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। जापान की एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी के दो खरीदार येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए तैयार हैं।

येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया प्राइवेट सेक्टर के लिए खतरे में पड़ सकती है। लेकिन , खरीदार इस भारतीय प्राइवेट बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर जोर दे रहे हैं। इस मामले में कुछ अहम जानकारियां साझा की हैं।

ये पूछेने पर कि क्या इस वर्ष के आखिर तक ये डील पूरी हो जाएगी, सूत्र ने कहा कि डील में एक पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है। सूत्र ने बताया कि येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने वाले सभी बोलीदाता 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने पर जोर दे रहे हैं। और इसी कारण से इस डील पर होने वाली बातचीत आगे बढ़ते हुए नजर नहीं आ रही है।

येस बैंक में पूरा कंट्रोल चाहते हैं एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी

सूत्र के अनुसार , भारतीय रिजर्व बैंक इस बात से सहमत नहीं है कि एक विदेशी संस्था के पास येस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। जापान का एसएमबीसी बैंक और अमीरात एनबीडी के रूप में दो खरीदार येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए तैयार हैं। येस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी के लिए दोनों दावेदार सीधे आरबीआई से बात कर रहे हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक इन दोनों कंपनियों को येस बैंक का स्वामित्व नियंत्रण देने के लिए तैयार नहीं है।

डील से जुड़े ‘उपयुक्त और उचित’ पहलुओं पर कोई प्रगति नहीं

नियमों और कानून अनुसार , किसी भी बैंक में किसी यूनिट के पास अधिकतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति है और इस लिमिट से ज्यादा हिस्सेदारी वाले मामलों में इसे कम करने के लिए एक समय सीमा बनाई गई है। सूत्र ने कहा कि इस डील से संबंधित ‘उपयुक्त और उचित’ पहलुओं पर कोई प्रगति नहीं हुई है।

येस बैंक में एसबीआई के पास है 24 प्रतिशत हिस्सेदारी

येस बैंक को 2020 मे वित्तीय संकट में फंसने के बाद , एक स्पेशल डील के आधार पर बाहर निकाला गया था। इसके तहत एसबीआई के नेतृत्व वाले कर्जदाताओं के एक ग्रुप ने येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी। बैंक में सर्वाधिक 24 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला एसबीआई वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक हिस्सेदारी बेचना चाहता है।

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